मुझे छुउ रही हैं तेरी नर्म सांसे - The Indic Lyrics Database

मुझे छुउ रही हैं तेरी नर्म सांसे

गीतकार - गुलजार | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - स्वयंवर | वर्ष - 1980

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रफ़ी: मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं
लता: तेरी नर्म साँसों ने ऐसे छुआ हैं
के मेरे तो पाओं बहकने लगे हैंरफ़ी: लबों से अगर तुम बुला ना सको तो
निगाहों से तुम नाम लेकर बुला लो
लता: तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं
ज़रा अपनी आँखों पे पलके गिरा दो
रफ़ी: मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैंरफ़ी: पता चल गया है के मंज़िल कहाँ है
चलो दिल के लम्बे सफ़र पे चलेंगे
लता: सफ़र खत्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे
रफ़ी: मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं
लता: तेरी नर्म साँसों ने ऐसे छूआ हैं
के मेरे तो पाओं बहकने लगे हैंSecond version
मुझे छू रही हैं, तेरी नर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैंजिस दिल में बसते थे, तूफ़ान के बादल
वहाँ अब इश्क़ के, दिये जल रहे हैंगुमराह फिरता था मैं, एक खोया परवाना
तेरे दिल की शमा ने मक़्सद दिया मुझ कोजो सपने थे मुर्दा तारीकी में खोए
इस मोहब्बत की रोशनी से, जीने लगे हैंकाँटों से भरा था, ये सफ़र मेरा
तेरे दम से गुलाबों का, फ़र्श बिछ गयावो फूल जो कभी भी खिल न सके थे
आज शबनम की बदौलत, मुस्कुरा रहे हैंवादा है ये मेरा, न छोड़ूँगा साथ तेरा
मरते दम तक तेरा साथ दूँगाजिस रूह पे लोग तरस खाते थे
आज फ़रिश्ते भी मुझसे इश्क़ करने लगे हैंमुझे छू रही हैं, तेरी नर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं