अगर मुझ से मोहोब्बत है - The Indic Lyrics Database

अगर मुझ से मोहोब्बत है

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - लता | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आपकी परछियां | वर्ष - 1964

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(अगर मुझ से मोहोब्बत है मुझे सब अपने ग़म दे दो) क्ष्2
इन आँखों का हर इक आँसू मुझे मेरी क़सम दे दो
अगर मुझ से मोहोब्बत है
(तुम्हारे ग़म को अपना ग़म बना लूँ तो क़रार आए) क्ष्2
तुम्हारा दर्द सीने में छुपा लूँ तो क़रार आए
वो हर शय जो तुम्हें दुख दे मुझे मेरे सनम दे दो
अगर मुझ से मोहोब्बत है
शरीक-ए-ज़िंदगी को क्यूँ शरीक-ए-ग़म नहीं करते
दुखों को बाँट कर क्यूँ इन दुखों को कम नहीं करते
तड़प इस दिल की थोड़ी सी मुझे मेरे सनम दे दो
अगर मुझ से मोहोब्बत है
(इन आँखों में न अब मुझको कभी आँसू नज़र आएं) क्ष्2
सदा हँसती रहें आँखें सदा ये होँठ मुस्काए
मुझे अपनी कभी आहें कभी दर्द-ओ-अलम दे दो
अगर मुझ से मोहोब्बत है मुझे सब अपने ग़म दे दो
इन आँखों का हर इक आँसू मुझे मेरी क़सम दे दो
अगर मुझ से मोहोब्बत है