हुं बहारों ने की सजदे - The Indic Lyrics Database

हुं बहारों ने की सजदे

गीतकार - उपेंद्र | गायक - मुकेश | संगीत - इकबाल कुरैशी | फ़िल्म - बॉम्बे बाय नाइट | वर्ष - 1976

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हूँ
बहारों ने किए सजदे गुलों ने सर झुकाया है
बड़ी फ़ुरसत से मालिक ने हसीं तुमको बनाया है
बहारों ने किए सजदे ...तेरे गालों की सुर्ख़ी को चुराने ग़ुलाब आए
तेरा नाज़ुक बदन जिसकी बला लेने शबाब आए
वो गोरे हाथ जिसमें संग-ए-मरमर की सफ़ेदी है
घटा सावन की ज़ुल्फ़ों में तेरी आराम करती है
हसीना ओ हसीना -२
बहारों ने किए सजदे ...तेरा चेहरा ज़मीं का चाँद बनकर जगमगाया है
मगर क्यूँ चाँदनी को अपने घूँघट में छुपाया है
दो आँखें ऐसी हैं जैसे ग़ज़ल के पहले दो मिसरे
तेरी मासूमियत पर बैठे हैं अंदाज़ के पहरे
हसीना ओ हसीना -२
बहारों ने किए सजदे ...