जरा जरा बहकता है महकाता हैं - The Indic Lyrics Database

जरा जरा बहकता है महकाता हैं

गीतकार - समीर | गायक - बॉम्बे जयश्री | संगीत - हैरिस जयराज | फ़िल्म - रहना है तेरे दिल में | वर्ष - 2002

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ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है,
आज तो मेरा तन-बदन, मैं प्यासी हूँ,
मुझे भर ले अपनी बाँहों में
है मेरी क़सम, तुझको सनम, दूर कहीं न जा
ये दूरी कहती है पास मेरे आजा रेयूँ ही बरस-बरस काली घटा बरसे,
हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में
मेरी खुली-खुली लटों को सुलझाए
तू अपनी उँगलियों से, मैं तो हूँ इसी ख़्वाहिश में
सर्दी की रातों में हम सोए रहें इक चादर में
हम दोनों तनहा हों, न कोई भी रहे इस घर मेंज़रा-ज़रा बहकता है ... बाँहों मेंआजा रे, आ रेतड़पाएँ मुझे तेरी सभी बातें,
इक बार ऐ दीवाने, झूठा ही सही, प्यार तो कर
मैं भूली नहीं हसीं मुलाक़ातें,
बेचैन कर के मुझको, मुझसे यूँ ना फेर नज़र
रूठेगा न मुझसे, मेरे साथिया, ये वादा कर
तेरे बिना मुश्किल है जीना मेरा, मेरे दिलबरज़रा-ज़रा बहकता है ... बाँहों में
है मेरी क़सम ... आजा रेआजा रे, आजा रे, आजा रे