जा रे करे बदरा बलम के द्वार: - The Indic Lyrics Database

जा रे करे बदरा बलम के द्वार:

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - धरती कहे पुकार के | वर्ष - 1969

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जा रे कारे बदरा बलम के द्वार -२
वो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यार
जा रे कारे बदरा बलम के द्वार
वो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यार
वहीं जा के रो
जा रे कारे बदरा बलम के द्वार
वो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यारकिनकी पलक से पलक मोरी उलझी -२
निपट अनाड़ी से लट मोरी उलझी
कि लट उलझा के मैं तो गई हारवो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यार
वहीं जा के रो
जा रे कारे बदरा बलम के द्वार
वो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यारअंग उन्हीं की लहरिया समाई -२
तबहूँ ना पूछें लूँ काहे अंगड़ाई
के सौ सौ बल खा के मैं तो गई हारवो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यारथाम लो बइयाँ चुनर समझावे -२
गरवा लगा लो कजर समझाओ
के सब समझा के मैं तो गई हारवो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यार
वहीं जा के रो
जा रे कारे बदरा बलम के द्वार
वो हैं ऐसे बुद्धू न समझें रे प्यार -२