मेरी दुनिया में तुम आई, क्या क्या अपने साथ लिये - The Indic Lyrics Database

मेरी दुनिया में तुम आई, क्या क्या अपने साथ लिये

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - लता - रफी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - हीर रांझा | वर्ष - 1970

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मेरी नजर ने हुस्न का जादू जगा दिया
तुझ को सजा के और भी कातिल बना दिया
शरमाती है क्यों आज मेरी बाहों में आ के
ले जाऊँगा एक दिन तुझे डोली में बिठा के
डोली से मैं जब उतरूंगी हैरान ना होना
मर जाऊँ ख़ुशी से तो परेशान न होना
दूरी कभी पल भर को गवारा ना करेंगे
गर जी ना सके साथ तो हम साथ मरेंगे
मेरी दुनिया में तुम आई, क्या क्या अपने साथ लिए
तन की चाँदी, मन का सोना, सपनोंवाली रात लिए
तनहा तनहा, खोया खोया, दिल में दिल की बात लिए
कब से यूँ ही फिरता था मैं अरमां की बारात लिए
ढलका आँचल, फैला काजल, आँखों में ये रात लिए
कैसे जाऊँ सखियों में अब तेरी ये सौगात लिए
सीने की ये धड़कन सुन ले न कोई
हाए हाए हाए देखे ना कोई
ना जाओ, ना जाओ
हटो, हटो, डर लगता है
सुनो, सुनो,
डर लगता है
दिल में कितनी कलियाँ महकी, कैसे कैसे फूल खिले
नाजूक नाजूक, मीठे मीठे, होठों की खैरात लिए
चाँद से कैसे आँखे मिलाऊँ
बाहों में आओ तुमको बताऊँ
बस भी करो, अब ना डरो, रात है ये अपनी
पायल छनके, कंगना खनके, बदली जाए चाल मेरी
मंजिल मंजिल चलना होगा, हाथों में अब हाथ लिए