कड़की तेरा हि नाम कलरकि - The Indic Lyrics Database

कड़की तेरा हि नाम कलरकि

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान, आशा भोंसले, गुलाम मोहम्मद | संगीत - रोशन | फ़िल्म - अजी बस शुक्रिया | वर्ष - 1958

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आ: कड़की तेरा ही नाम कलर्की
को: कड़की तेरा ही नाम कलर्की
हो हो हो
जितनी पगार म्ले उतना उधार चढ़े मारे इधर भर भी
को: कड़की तेरा ही नाम कलर्कीगु: कलम है दवात है दिन है न रात है -२र: बाप ने कहा था बेटा बी ए पास कर के
तुम भी बनोगे अफ़सर दफ़तर के
आ: क़िस्मत बोली राजा होना है जो होगा
ये कोट पैन्ट टाई ये माँगे हुये भाई
जो होना था वो ही हुआ
को: अइ अइ अइ य या य या
ये कोट पैन्ट टाई ये माँगे हुये भाई
जो होना था वो ही हुआ
हो हो हो
जितनी पगार म्ले उतना उधार चढ़े मारे इधर भर भी
को: कड़की तेरा ही नाम कलर्कीगु: कलम है दवात है दिन है न रात है -२र: सोचते हैं यारो sundayकैसे आयेगा
आ गया sundayतो गुज़ारा कैसे जायेगा
आ: cinemaमें ticketविकट लगे पैसे
है पैसों की भी छुट्टी और दफ़्तर में भी छुट्टी
तो जायें तो जायें कहाँ
को: अइ अइ अइ य या य या
है पैसों की भी छुट्टी और दफ़्तर में भी छुट्टी
तो जायें तो जायें कहाँ
हो हो हो
जितनी पगार म्ले उतना उधार चढ़े मारे इधर भर भी
को: कड़की तेरा ही नाम कलर्कीगु: कलम है दवात है दिन है न रात है -२आ: इतना बड़ा पेट ले के सेठ आये lateजी
हमको हुज़ूर कभी साये में न gateजी
?? police
र: अरे अरे रे
आ: गाली पे गाली खायें और sorryकहते जायें
कलर्कों का रोना बुरा
हो हो हो
जितनी पगार म्ले उतना उधार चढ़े मारे इधर भर भी
कलर्की