गोरा परेशान है - The Indic Lyrics Database

गोरा परेशान है

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, अमित कुमार, पूर्णिमा | संगीत - आदेश श्रीवास्तव | फ़िल्म - शिकारी | वर्ष - 2000

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गोरा परेशान है काला परेशान है
अरे घरवाली से घरवाला परेशान हैगोरी परेशान है अरे काली परेशान है
अरे घरवाले से घरवाली परेशान है
घरवाली परेशान है
घरवाला परेशान हैगोरा तो आॅफ़िस में काम करता है
बीवी को झुकके सलाम करता है
फ़ैशन की वो चीज़ें लाए तो कैसे
मैडम के नखरे उठाए तो कैसे
अरे नाराज़ रहती है उसकी लुगाई
न.म्बर दो की न उसकी कमाई
सुख चैन से वो बेचारा भला था
शादी शुदा से कुंवारा भला था
ओ ऊंची दुकान है
ऊंची दुकान मगर फीका पकवान है
अरे घरवाली से ...रानी का शौहर शराबी जुआरी
उसको तो है रेस की भी बीमारी
घोड़ों पे लाखों की दौलत लुटाता
मेहनत का पैसा वहाँ हार आता
अरे बोतल से कितनी मोहब्बत है उसको
पीने पिलाने की आदत है उसको
हां झगड़ा करे रोज बीवी को मारे
बाहर का गुस्सा वो घर में उतारे
हर पल तड़पती है हाय दैया
हर पल तड़पती है मुश्किल में जान है
मर गई रे
अरे घरवाले से ...अरे कोई भरोसा न मर्दों की बात का
कैसे यकीं कर लूं औरत की जात का
ये मर्द खुद को समझते सयाने
औरत की फ़ितरत खुदा भी न जाने
अरे हम ना करेंगे तुम्हारी गुलामी
हम भी तुम्हें अब ना देंगे सलामी
औरत की इज़्ज़त तुम्हारा धरम है
छोड़ो न इन बातों में अब क्या दम है
नशे में चूर है तू
बड़ी मगरूर है तू
बड़ा चालाक है तू
बड़ी बेबाक है तू
अकड़ तेरी बुरी है
तू भी मीठी छुरी है
तू गिरगिट की नली है
तू कोई छिपकली है
उछल ना बंदर जैसे
चले बंदरिया कैसे
न कर मुझसे लड़ाई
पकड़ने दे कलाई
मेरे नज़दीक आ ना
मुझे नखरे दिखा ना
जा ना
आ ना
हे ओफ़ ओ अब छोड़ो भी क्यूं आपस में झगड़ा करते हो
तकरार करते हैं हम भी नादान हैं