हम भी हैं, तुम भी हो, दोनों हैं आमने सामने - The Indic Lyrics Database

हम भी हैं, तुम भी हो, दोनों हैं आमने सामने

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मगेशकर - गीता दत्त - मन्ना डे - मुकेश - महेन्द्र कपूर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - जिस देश में गंगा बहती है | वर्ष - 1960

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है आग हमारे सीने में, हम आग से खेलते आते हैं
टकराते हैं जो इस ताक़त से वो मिट्टी में मिल जाते हैं
तुमसे तो पतंगा अच्छा है, जो हँसते हुए जल जाता है
वो प्यार में मिट तो जाता है, पर नाम अमर कर जाता है
हम भी हैं, तुम भी हो, दोनों हैं आमने सामने
देख लो क्या असर कर दिया प्यार के नाम ने
हम गाते-गरजते सागर हैं कोई हमको बाँध नहीं पाया
हम मौज में जब भी लहराए सारा जग डर से थर्राया
हम छोटी सी वो बूँद सही, है सीप ने जिसको अपनाया
खारा पानी कोई पी न सका, एक प्यार का मोती काम आया
किस फूल पे मरती है दुनिया है कौनसा फल सबसे मीठा
नैनों से जो नैना टकराए, तो कौनन हारा और कौन जीता
ये दिल का कंवल सबसे सुंदर, मेहनत का फल सबसे मीठा
इस प्यार की बाजी में हँसकर जो दिल हारा वो सब जीता
इतना सा जिगर इतना सा है दिल क्या बात बड़ी करने आए
क्या पैदा होगी आग अगर, पत्थर से ना पत्थर टकराए
नन्हा सा ये तिल आँखों में न हो तो पल में अँधेरा हो जाए
इतना सा ये दिल तू दे दे अगर सारा जग तेरा हो जाए
जाने कैसे ये मौजें अन्जानी
दिल में आई जैसे याद पुरानी
ले लिया दिल मेरा, आज की रंगभरी शाम ने
तुम्हे मुझको समझा था बेगाना
लेकिन तुमको मैंने ही पहचाना
मिल गई मंज़िलें, राह सी खुल गई सामने
तू जो कह दे मैं तेरी हो जाऊं
खोई-खोई आँखों में खो जाऊं
तुमने ये क्या किया, लोग दिल को लगे थामने