मैं वो हंसी हुन लब पे जो आने से रह गाइ - The Indic Lyrics Database

मैं वो हंसी हुन लब पे जो आने से रह गाइ

गीतकार - नक्षबी | गायक - राजकुमारी | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - महल | वर्ष - 1949

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मैं वो हँसी हूँ लब पे जो आने से रह गई
मैं वो शमा हूँ जो कभी रोशन नहीं हुईहूँ वो उमंग निकली जो दिल से न एक बार
हूँ वो ख़ुशी के ग़म ने जिसे कर लिया शिकारमैं वो दुल्हन हूँ रास न आया जिसे सिंघार
मैं वो चमन हूँ जिसमें न आई कभी बहार -२मैं वो दुल्हन हूँ रास न आया जिसे सिंघार
मैं वो चमन हूँ जिसमें न आई कभी बहारघर जल गया तो आग बुझाने से फ़ायदा -२
उस बेवफ़ा को अब ये जताने से फ़ायदा
जताने से फ़ायदा
ऐ मेरे दिल के चैन मेरा दिल है बेकरार
मैं वो चमन हूँ जिसमें न आई कभी बहार -२कशती भटक रही है किनारा नहीं कोई -२
मजबूर ज़िंदगी का सहारा नहीं कोई
सहारा नहीं कोई
मरने का इंतज़ार है मरने का इंतज़ार
मैं वो चमन हूँ जिसमें न आई कभी बहार -२मैं वो दुल्हन हूँ रास न आया जिसे सिंघार
मैं वो चमन हूँ जिसमें न आई कभी बहार