कोई लाख कहे ऐसा-वैसा - The Indic Lyrics Database

कोई लाख कहे ऐसा-वैसा

गीतकार - असद भोपाली | गायक - सुरैया | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - मोती महल | वर्ष - 1952

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कोई लाख कहे ऐसा-वैसा
इस दुनिया का अब डर कैसा
जब तेरी-मेरी
तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी
जब तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी
जब तेरी-मेरी
तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी
बसते हैं सजन आकाश तले
कुछ लोग बुरे कुछ लोग भले
आ हँस के आ मिल जायें गले
जलता है कोई तो पार जले
( जब तेरी-मेरी
तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी )
मेरी आँखों का ही नूर है तू
मेरे माथे का सिंदूर है तू
क्यूँ पास भी रह कर दूर है तू
किस बात से अब मजबूर है तू
( जब तेरी-मेरी
तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी )
बेचैन मोहब्बत कैसी है
नज़रों में शिक़ायत कैसी है
क्यूँ दिल की हालत कैसी है
सरकार तबीयत कैसी है
( जब तेरी-मेरी
तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी )
कोई लाख कहे ऐसा-वैसा
इस दुनिया का अब डर कैसा
जब तेरी-मेरी
तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी
जब तेरी-मेरी मेरी-तेरी एक मरज़ी