कोई दूर बजाये बाँसुरी - The Indic Lyrics Database

कोई दूर बजाये बाँसुरी

गीतकार - साहिर | गायक - लता | संगीत - उस्ताद अली अकबर खान | फ़िल्म - हमसफ़र | वर्ष - 1953

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कोई दूर बजाये बाँसुरी
छेड़े दिल के तार, रात है मिलने की
जागूँ अब तक मैं बावरी
सोये सब संसार, रात है मिलने की
तन की सुध बिसराये मोरे मन का चैन चुराये
आग लगे ये बैरन मन के सोये दर्द जगाये
तरसाये सुख की चाँदनी
तरसे घायल प्यार, रात है मिलने की
जो साजन के पास हैं उनको ये रुत ही कल लागे
जिसका प्रीतम दुख दे चला वो ना सोये ना जागे
छलके नैनन कि गागरी
मन से उठे पुकार रात है मिलने की