ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें - The Indic Lyrics Database

ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता - मन्ना डे | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - जाल | वर्ष - 1952

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ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा
क्यों आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता, मौसम का ये इशारा
इठलाती हवा, नीलम सा गगन
कलियों पे ये बेहोशी की नमी
ऐसे में भी क्यों बेचैन है दिल
जीवन में न जाने क्या है कमी
जो दिन के उजाले में न मिला
दिल ढूंढें ऐसे सपने को
इस रात की जगमग में डूबी
मैं ढूंढ रही हूँ अपने को
ऐसे में कहीं क्या कोई नहीं
भूले से जो हमको याद करे
एक हल्की सी मुस्कान से जो
सपनों का जहां आबाद करे