ये काली जहरीली रात - The Indic Lyrics Database

ये काली जहरीली रात

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - अनुपमा | संगीत - अनू मलिक | फ़िल्म - चोरी चोरी | वर्ष - 1956

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ये रात ये रात
झल्ली कि छिपकली रात
कौड़ियाले कोबरे की रात
न उगली ही जाए, न निगली ही जाए
ये काली जहरीली रात
पल पल बल खाती
पल पल उलझाती
पलकें झपकती, ये रात
सन्नाटे की सेज पे सोई
सांप से सरकती रात
वीराना वीराना है वीराना
दिल को लाख बसा ले ये दीवाना
उजड़े उजड़े रहते हैं दिल सारे
वीरानों से बसता है वीराना
संटी से मारती है फुंकारती है
काली कौड़ियाली रात
आबी आबी रात बड़ी तेज़ाबी
गिर ना जाए हाथ से चाँद रकाबी
डूब रहे हैं सारे कूल किनारे
उमड़ उमड़ के रात आई सैलाबी
खौलते बदन पर बोलते बदन पर
जलती उबलती रात