हर तराफ़ हुस्न मुहब्बत बड़े काम की चिइज़ है - The Indic Lyrics Database

हर तराफ़ हुस्न मुहब्बत बड़े काम की चिइज़ है

गीतकार - इन्दीवर | गायक - मुकेश | संगीत - के बाबूजी | फ़िल्म - परमात्मा: | वर्ष - 1978

View in Roman

हर तरफ हुस्न और जवानी है
आज की रात क्या सुहानी है
रेशमी जिस्म
हाँ रेशमी जिस्म
थरथराते हैं मारामारी
होंठ गुनगुनाते हैं
धड़कनों मैं सुरूर
फैला है रबग नजदीक-ो-दूर
फैला है दावत-इ-इश्क़ दे रही
है फ़ज़ा आज हो जा किसी हसीं पे फ़िदा

मुहब्बत बड़े काम
की चीज़ है काम की चीज़ है
मुहब्बत बड़े काम
की चीज़ है काम की चीज़ है
मुहब्बत के दम से
है दुनिया ये रौनक
मुहब्बत न होती तो
कुछ भी ना होता
नजर और दिल की
पनाहों की खातिर
ये जन्नत न होती तो
कुछ भी ना होता
यही एक आराम की चीज़
है काम की चीज़ है
मुहब्बत बड़े काम की
चीज़ है काम की चीज़ है

किताबों में छपते
है चाहत के किस्से
हकीकत की दुनिया
में चाहत नहीं
किताबों में छपते
है चाहत के किस्से

हकीकत की दुनिया
में चाहत नहीं
ज़माने के बाज़ार
में ये वो शाह है
के जिसकी किसीको ज़रूरत नहीं है
ये बेकार बेदाम की चीज़
है नाम की चीज़ है

ये कुदरत के इनाम की चीज़ है
ये बस नाम ही नाम की चीज़ है
काम की चीज़ है
मुहब्बत बड़े काम की
चीज़ है काम की चीज़ है
मुहब्बत से इतना
खफा होने वाले
चल ा आज तुझको
मुहब्बत सिखा दे
तेरा दिल जो बरसो
से वीरान पड़ा है
किसी नाज़नीनों को
इसमे बसा दें
मेरा मशवरा काम
की चीज़ है काम की चीज़ है
मुहब्बत बड़े काम की
चीज़ है काम की चीज़ है
ये बेकार बेदाम की चीज़
है नाम की चीज़ है
काम की चीज़ है

मुहब्बत बड़े काम की
चीज़ है काम की चीज़ है
मुहब्बत बड़े काम की
चीज़ है काम की चीज़ है.