दुनिया की नज़र है बुरी ज़ुल्फ़ें न सँवारा करो - The Indic Lyrics Database

दुनिया की नज़र है बुरी ज़ुल्फ़ें न सँवारा करो

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - रफ़ी, गीता | संगीत - रोशन | फ़िल्म - आगरा रोड | वर्ष - 1957

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दुनिया की नज़र है बुरी ज़ुल्फ़ें न सँवारा करो
गी: जाओ-जाओ बेईमान बलमा हमें ताने न मारा करो
र: दुनिया की नज़र ...

देख ज़रा तू मुड़ के ज़ालिम सदके ऐसी चाल के
गी: मेरे सामने आना बलम दिल को ज़रा संभाल के
र: आ तेरे क़दमों पे दिल रख दूँ गोरी जब भी इशारा करे
गी: जाओ-जाओ बेईमान ...

बातों ही बातों में अजी बन बैठे दिलदार क्यों
र: अपना बना के पास बुला के फिर हमसे तक़रार क्यों
गी: जाओ तुम्हें पास बुलाया किसने ज़रा दूर से नज़ारा करो
र: दुनिया की नज़र ...

एक तो तीखे नैना ऊपर से कजरे की धार रे
गी: हो जाए ना पार जिगर के दोधारी तलवार रे
र: हाय तेरे प्यार के मारे हैं नज़रों से न मारा करो
दुनिया की नज़र ...$