गाँव के आगे एक पीपल है नाले नाले मैं चलिए - The Indic Lyrics Database

गाँव के आगे एक पीपल है नाले नाले मैं चलिए

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - युगंधर | वर्ष - 1992

View in Roman

गांव के आगे एक पीपल है उसके आगे इक नाला
मैं हूँ तन की उजली रे सजना तू है मन का कालानाले नाले मैं चली तो मुझे मिला इक मोर
तू मुझे यूं ताके जैसे मैं सोना हूँ तू चोरनाले नाले मैं चला तो मुझे मिली एक कोयल
तू अपने को सोना समझे पर मैं समझूं पीतलतुझे मैं समझाऊंगी सौ अदाएं दिखाऊंगी
तू तड़पता रहेगा सदा तेरे पास न आऊंगी
तू चाहें हाथ जोड़े तू चाहें पैर जोड़े
मैं कहूंगी जा रे जा रे आ मुझे
नाले नाले मैं चली ...मेरी परवाह नहीं तुझे
झांकती क्यों है घर से तू मुझे
भेजी थी क्यों पर्ची बता
मिलने आ जाना बारह बजे
तू करे लाख जतन कभी न होगा मिलन
मेरा ऐसा नहीं चालचलन
नाले नाले मैं चला मुझे मिला इक बंगला
तुझसे जो मिलने आएगा वो होगा कोई पगला
नाले नाले मैं चला
नाले नाले मैं चली ...ओए नालेक्या समझता है तू खुद को
पहले अपना मुंह देखो
कितने ही मरते हैं मुझ पर
पीछे हँसते हैं वो तुझ पर
तुझे कहां पताअ रूप होता है क्या
तू गंवार है गांव का
ओ नाले नाले मैं चला तो मुझे मिला एक शेर
तू अपने को रूपमती समझे तो है अंधेर
नाले नाले मैं चली तो मुझे मिला इक चीता
एक दो तीन
मान भी जा कि तू ये बाजी हारी मैं जीता
नाले नाले मैं चलानाले नाले मैं चला तो मुझे मिला एक भालू
पूरे गांव को चक्कर दे दूं मैं हूँ कितना चालू