साथी रे क़दम क़दम से दिल - The Indic Lyrics Database

साथी रे क़दम क़दम से दिल

गीतकार - साहिर | गायक - मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, मीना कपूर | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - चार दिल चार राहें | वर्ष - 1959

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साथी रे
क़दम क़दम से दिल से दिल मिला रहे हैं हम
वतन में एक नया चमन खिला रहे हैं हम
क़दम क़दम से
हम आज नींव रख रहे हैं उस निजाम की
बिके न ज़िन्दगी जहाँ किसी ग़ुलाम की
लुटें न मेहनतें पिसे हुए आवाम की
न भर सके तिजोरियाँ कोई हराम की
साथी रे
हर एक ऊँच-नीच को मिटा रहे हैं हम
क़दम क़दम से
साथी रे भाई रे
विदेशी लूट की जगह हो देसी लूट क्यों
सफ़ेद झूठ की जगह सियाह झूठ क्यों
वतन सभी का है तो फिर वतन में फूट क्यों
समाज के दुश्मनों को मिल रही है छूट क्यों
साथी रे भाई रे
खुली सभा में ये सवाल उठा रहे हैं हम
क़दम क़दम से
साथी रे भाई रे
हमारे बाजुओं में आँधियों का ज़ोर है
हमारी धड़कनों में बादलों का शोर है
हमारे हाथ में वतन की बागडोर है
न बच के जा सकेंगे जिनके दिल में चोर है
साथी रे भाई रे
सुनो कि अपना फ़ैसला सुना रहे हैं हम
क़दम क़दम से $