संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे - The Indic Lyrics Database

संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चित्रलेखा | वर्ष - 1964

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संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोक को भी अपना न सके
उस लोक में भी पछताओगे
ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या
रीतोंपर धर्म की मोहरें हैं
हर युग में बदलते धर्मों को
कैसे आदर्श बनाओगे
ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचयिता का होगा
रचना को अगर ठुकराओगे
हम कहते हैं ये जग अपना है
तुम कहते हो झूठा सपना है
हम जनम बिताकर जाएँगे
तुम जनम गँवाकर जाओगे