सारा चमन था अपना - The Indic Lyrics Database

सारा चमन था अपना

गीतकार - मनमोहन साबिर | गायक - लता | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - आकाश | वर्ष - 1953

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सारा चमन था अपना
वो भी था इक ज़माना
अब सामने नज़र के
जलता है आशियाना
जलता है
जलता है
अब इस मर मर के जीने से मिटा देते तो अच्छा था
मुहब्बत की न इतनी तुम सज़ा देते तो अच्छा था
अब इस मर मर के जीने से
घड़ी भर मुस्कुराके उम्र भर का अब तो रोना है
नज़र मिलते ही गर मुझको रुला देते तो अच्छा था
अब इस मर मर के जीने से
मुहब्बत के चराग़ों को बुझाना था, बुझा देते
मगर दिल की लगी को भी बुझा देते तो अच्छा था
अब इस मर मर के जीने से$