कामसिनि में दिल पे गम का बार क्यों - The Indic Lyrics Database

कामसिनि में दिल पे गम का बार क्यों

गीतकार - वीर मोहम्मदपुरी | गायक - सहगान, शांता आप्टे | संगीत - केशवराव भोले | फ़िल्म - अमृत ​​मंथन | वर्ष - 1934

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कमसिनी में दिल पे ग़म का बार क्योँ -२
वा ये क़िस्मत पास गुल के ख़ार क्योँ -२टूट जब उम्मीद ही अपनी गयी -२
बँध रहा है आँसुओं का तार क्योँ -२दिल हुआ टुकड़े तो पहले बार में -२
फिर भी तीरों की है ये बौछार क्योँवीर इस दीवानगी में है मज़ा -२
लोग कहते हैं इसे आज़ार क्योँ -२