ये कैसा ग़म सजना प्यासा दिन प्यासी शाम - The Indic Lyrics Database

ये कैसा ग़म सजना प्यासा दिन प्यासी शाम

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - साथी | वर्ष - 1968

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ये कैसा ग़म सजना प्यासा दिन प्यासी शाम
आ तेरे होंठों से लग जाऊँ बन के जाम
शीशे में नशा है, मुझमें तेरा प्यार है
रंग उसमे मेरे चेहरे पर तेरी बहार है
सैयां, शीशा क्या है बाँहें मेरी थाम
हाय मेरे होते रूह तेरी प्यासी
पोंछ दूँ आँचल बन के आ मुखड़े की उदासी
सैयां, सुख में दुःख में मुझको तुझसे काम
मैं जलने न दूँगी तुझको ये ग़म ले के
पास तेरे आई हूँ मैं प्यार की शबनम ले के
सैयां, रब ने भेजा मुझको तेरे नाम