ये जो ज़िन्दगी की किताब है - The Indic Lyrics Database

ये जो ज़िन्दगी की किताब है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जगजीत सिंग | फ़िल्म - प्यासी शाम | वर्ष - 1969

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ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कहीं एक हसीन सा ख्वाब है
कहीं जानलेवा अज़ाब है
कहीं छाँव है, कहीं धुप है
कहीं और ही कोई रूप है
कई चेहरे इसमें छुपे हुए
एक अजीब सी ये नकाब है
कहीं खो दिया, कहीं पा लिया
कहीं रो लिया, कहीं गा लिया
कहीं छीन लेती है हर खुशी
कहीं मेहरबान बेहिसाब है
कहीं आसुओं की है दास्तां
कहीं मुस्कुराहटों का बयां
कहीं बरकतों की हैं बारिशें
कहीं तिश्नगी बेहिसाब है