छडी रे छड़ी कैसी गले में पदी - The Indic Lyrics Database

छडी रे छड़ी कैसी गले में पदी

गीतकार - गुलजार | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - मौसम | वर्ष - 1975

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र : छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२
पैरों की बेड़ी कभी लगे हथकड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२( सीधे-सीधे रास्तों को
थोड़ा सा मोड़ दे दो ) -२
बेजोड़ रूहों को
हल्का सा जोड़ दे दो
जोड़ दो न टूट जाये सांसों की लड़ी -२
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२ल : छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२
पैरों की बेड़ी कभी लगे हथकड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२धीरे-धीरे चलना सपने
नींदों में डर जाते हैं
हो
धीरे-धीरे चलना सपने
नींदों में डर जाते हैं
कहते हैं सपने कभी
जागे तो मर जाते हैं
नींद से न जागे कोई ख़ाबों की लड़ी -२
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२लगता है साँसों में
टूटा है काँच कोई
हो
लगता है साँसों में
टूटा है काँच कोई
चुभती है सीने में
भीनी सी आँच कोई
आँचल में बाँध ली है आग की लड़ी -२
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी -२
पैरों की बेड़ी कभी लगे हथकड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
र : छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
ल : छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी