ये जो चिलमन है, दुश्मन है हमारी - The Indic Lyrics Database

ये जो चिलमन है, दुश्मन है हमारी

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - मोहम्मद रफी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - स्वदेस | वर्ष - 2004

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ये जो चिलमन है, दुश्मन है हमारी
कितनी शर्मीली दुल्हन है हमारी
दूसरा और कोई यहाँ क्यो रहे
हुस्न और इश्क के दरमियाँ क्यों रहे
ये यहाँ क्यों रहे, हाँ जी हाँ क्यों रहे
ये जो आँचल है, शिकवा है हमारा
क्यो छुपाता है चेहरा ये तुम्हारा
कैसे दीदार आशिक तुम्हारा करे
रूख-ए-रोशन का कैसे नज़ारा करे
इशारा करे, हा पुकारा करे
ये जो गेसूं हैं, बादल हैं कसम से
कैसे बिखरे हैं गालों पे सनम के
रुख़ से परदा ज़रा जो सरकने लगा
उफ़ ये कंबख़्त दिल क्यों धड़कने लगा
भड़कने लगा, दम अटकने लगा
ये जो धड़कन है दुश्मन है हमारी
कैसे दिल संभाले उलझन है हमारी