पातालि कमर है तिराछी नज़र हैं - The Indic Lyrics Database

पातालि कमर है तिराछी नज़र हैं

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - लता मंगेशकर, मुकेश | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - बरसात | वर्ष - 1949

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पतली कमर है तिरछी नज़र है
खिले फूल सी तेरी जवानी
कोई बताये कहाँ क़सर है
ओ~ आजा मेरे मन चाहे बालम
आजा तेरा आँखों में घर हैमैं चंचल मद्मस्त पवन हूँ
झूम झूम हर कली को चुमूँ
बिछड़ गयी मैं घायल हिरणी
तुमको ढूँढूँ बन बन घूमूँ
मेरी ज़िंदगी मस्त सफ़र है
पतली कमर है ...तुम बिन नैनों की बरसातें
रोक न पाऊँ लाख मनाऊँ
मैं बहते दरिया का पानी
खेल किनारों से बढ़ जाऊँ
बँध न पाऊँ
नया नगर नित नयी डगर है
पतली कमर है ...