आह को चाहिये एक उमर असर होने तक सैगल - The Indic Lyrics Database

आह को चाहिये एक उमर असर होने तक सैगल

गीतकार - ग़ालिब | गायक - के एल सहगल | संगीत - | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1948

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आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तकआशिक़ी सब्र-तलब हाय और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तकहमने माना के तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को ख़बर होने तकयक नज़र बेश नहीं फ़ुरसत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल
गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर होने तकग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शमा हर रँग में जलती है सहर होने तक