मिलते मिलते हम दोनों यूँ हो बैठे दिवाने - The Indic Lyrics Database

मिलते मिलते हम दोनों यूँ हो बैठे दिवाने

गीतकार - फैज़ अनवर | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, कुमार शानू | संगीत - साजिद वाजिद | फ़िल्म - बागी | वर्ष - 2000

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मिलते मिलते हम दोनों यूं हो बैठे दीवाने
इक दूजे के प्यार में खोए दुनिया से बेगाने
अब क्या हो अंजाम हमारा ये तो रब ही जाने
खाई है कसम ऐ हमसफ़र
मर जाएंगे तुम्हें न पा सके हम अगर
ओ खाई है कसम ...कहने लगी ये ज़िंदगी सपने बहारों के बुन लो
लग कर मेरे सीने से तुम इस दिल का पैगाम सुन लो
होश खोने लगे दिल में तूफ़ां जगे
आज हमसे तो कुछ ना कहो
मंज़िलें प्यार की दे रही हैं सदा
बस यूं ही साथ चलते रहो
अब क्या हो अंजाम ...नाज़ुक है दिल काँच सा पत्थर के जैसी हैं रस्में
तुम साथ हो जब तक सनम रस्में हैं सब अपने बस में
इक हो जाएंगे रस्मों को तोड़कर
इस जहां से डरेंगे ना हम
प्यार के वास्ते जान जाए मगर बेवफ़ाई करेंगे ना हम
अब क्या हो अंजाम ...