दिल्ली की गलियों में - The Indic Lyrics Database

दिल्ली की गलियों में

गीतकार - नाजिम पानीपति | गायक - दुर्रानी, ​​जोहराबाई अंबलेवाली | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - डोलि | वर्ष - 1947

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ज़ोहरा :
दिल्ली की गलियों में जिया नाही लागे
मैं तो देखूँगी बम्बई
वादा करके बीत गये है मार्च, अप्रैल और मई
मैं तो देखूँगी बम्बई ...दु : अरे दिल्ली ना छोड़ ये तो अपना है देस
ज़ो : चलें हम तुम बम्बई वहाँ देखेंगे race
दु : यहाँ दिल के तमाशे, यहाँ नैनों के खेल
यहाँ क़ुतुब साब की लाट
ज़ो : वहाँ दादर और परेल
मिल जाएंगे उस नगरी में तेरे जैसे कई
मैं तो देखूँगी बम्बई ...दु : यहाँ सखियाँ भी हैं, तोरी मैंया भी है
यहाँ तोरी ननदिया का भैया भी है
ज़ो : वहाँ इज़्ज़त भी है और रुपैया भी है
वहाँ सैगल भी है और सुरैया भी है
क्या करूँगी दिल्ली में मैं
यई यई यई यई यई
मैं तो देखूँगी बम्बई ...