अकेला हुं मैं हमसफ़र धुंधता हुं - The Indic Lyrics Database

अकेला हुं मैं हमसफ़र धुंधता हुं

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - जाल | वर्ष - 1967

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(अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूँढता हूँ
मुहब्बत की मैं रहगुज़र ढूँढता हूँ) -२
किसी को मैं शाम-ओ-सहर ढूँढता हूँ
अकेला हूँ ...ये महकी हुई रात कितनी हसीं है -२
मगर मेरे पहलू में कोई नहीं है -२
मुहब्बत भरी इक नज़र ढूँढता हूँ
अकेला हूँ ...मेरे दिल में आजा, निगाहों में आजा -२
मुहब्बत की रंगीन राहों में आजा -२
तुझी को मैं ओ बेख़बर ढूँढता हूँ
अकेला हूँ ...किधर जाऊँ वीरान हैं मेरी राहें -२
किसी को न अपना सकी मेरी आहें -२
मैं आहों मे अपने असर ढूँढता हूँ
अकेला हूँ ...