सांई रे घर घर में एक चोर - The Indic Lyrics Database

सांई रे घर घर में एक चोर

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - लता, सहगान | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शिन शिनाकी बूबला बू | वर्ष - 1952

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सांई रे
घर घर में एक चोर सांई
घर घर में एक चोर
सांई रे
घर घर में एक चोर सांई
घर घर में एक चोर
सांई रे
तू भक्ती का दिया जलावई
चोर बुझावई बाती

तू भक्ती का दिया जलावई
चोर बुझावई बाती
लूट जाये सब माल ख़ज़ाना
दिन देखे ना राती रे
दिन देखे ना राती
हाथ किसे के आवई ना वो
लाख करे कोई शोर
सांई घर घर में एक चोर
सांई रे
घर घर में एक चोर सांई
घर घर में एक चोर
सांई रे

तेरे देखते घर में आया
घर में आया तेरे देखते
रो ले
कैसा जादू डाला तुझपे
तू कुछ भी ना बोले रे
तू कुछ भी ना बोले
तन मन बाँध लिये हैं दोनों
बाँध करम की डोर
सांई घर घर में एक चोर
सांई रे
घर घर में एक चोर सांई
घर घर में एक चोर
सांई रे$