समझी थी की ये घर मेरा है - The Indic Lyrics Database

समझी थी की ये घर मेरा है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - काजल | वर्ष - 1965

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समझी थी की ये घर मेरा है
मालूम हुआ मेहमान थी मैं
जिन्हें अपना अपना कहती थी
उन सबके लिए अन्जान थी मैं
इस तरह न मुझको ठुकराओ
एक बार गले से लग जाओ
मैं अब भी तुम्हारी हूँ लोगों
रूठों न अगर नादान थी मैं
तुम शाद रहो आबाद रहो
अब मैं तुम सब से दूर चली
परदेस बनी हैं वो गलियां
जिन गलियों की पहचान थी मैं