भदक रही है आग सी हवाओं में - The Indic Lyrics Database

भदक रही है आग सी हवाओं में

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - मेहदी हसन | संगीत - खुर्शीद अनवर | फ़िल्म - सलाम-ए-मोहब्बत (पाकिस्तानी-फिल्म) | वर्ष - 1971

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भड़क रही है आग सी हवाओं में
सुलग रहा हूँ बादलों की चाँवों में
बहार मुझसे छिन गई मुझे बहार चाहिये
मुझे सुकून चाहिये, मुझे क़रार चाहियेकिसी की दिल्लगी को प्यार जान के
मैं लुट गया हूँ दिल की बात मान के -२
न मुझको चाहिये वफ़ा, न मुझको प्यार चाहिये
मुझे सुकून चाहिये, मुझे क़रार चाहिये
सुलग रहा हूँ बादलों की चाँवों मेंन जाने कब ये दिल का दर्द जायेगा
रहूँगा होश में तो ग़म सतायेगा -२
मेरे लिये तो रात-दिन बस इक ख़ुमार चाहिये
मुझे सुकून चाहिये, मुझे क़रार चाहिये
सुलग रहा हूँ बादलों की चाँवों मेंतड़प न मेरे दिल किसी की आस में
हज़ार तल्ख़ियाँ है तेरी प्यास में
तुझे तो सारी ज़िंदगी का इंतज़ार चाहिये
मुझे सुकून चाहिये, मुझे क़रार चाहिये
सुलग रहा हूँ बादलों की चाँवों में