नफ़रत से जिन्हें तुम ज़माने की आंखों ने - The Indic Lyrics Database

नफ़रत से जिन्हें तुम ज़माने की आंखों ने

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - आशा भोंसले, किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - दिलदार | वर्ष - 1977

View in Roman

नफ़रत से जिन्हें तुम देखते हो
तुम मरते हो जिन्हे ठोकर
क्या उन पे गुज़रती है देखो
एक बार कभी घायल हो कर

ज़माने की आँखों ने देखा है यारो
ज़माने की आँखों ने देखा है यारो
सदा अपनी दुनिया में ऐसा नज़ारा
कभी उनको फूलों से पूजा है सबने
कभी उनको फूलों से पूजा है सबने
कभी जिनको लोगो ने पत्थर से मारा
ज़माने की आँखों ने देखा है यारो

पइसे न जहां तक पत्थर पे मेहदी
किसी भी तरह रैग लाती नहीं है
हज़ारो जगह ठोकर खा न ले जब तक
कोई ज़िन्दगी मुस्कराती नहीं है
बिना खुद मरे किसको जन्नत मिली है
बिना खुद मरे किसको जन्नत मिली है
बिना दुःख सहे किसने जीवन संवारा
ज़माने की आँखों ने देखा है यारो

भंवर से जो घबरा के पिछे हटे है

डुबो दी है मौजो ने उनकी ही नैया
जो तूफ़ान से टकरा के आगे बढे है
जो तूफ़ान से टकरा के आगे बढे है
बिना कोई मांझी बिना ही खिवैया
कभी न कभी तो कही न कही पर
कभी न कभी तो कही न कही पर
हमेशा ही उनको मिला है किनारा
ज़माने की आँखों ने देखा है यारो

यहां आदमी को सबक दोस्ती का
सिखाते हुए जो लहू में नहाया
मसीहा बना और गाँधी बना वो
हज़ारो दिलो में यहां घर बनाया
उन्ही की बनी है यहाँ यादगारे
उन्ही की बनी है यहाँ यादगारे
उन्ही का ज़माने में चमका सितारा

ज़माने की आँखों ने देखा है यारो
सदा अपनी दुनिया में ऐसा नज़ारा
कभी उनको फूलों से पूजा है सबने
कभी उनको फूलों से पूजा है सबने
कभी जिनको लोगो ने पत्थर से मारा
ज़माने की आँखों ने देखा है यारो.