मुस्कराते हुये युं आंख चुराया ना कारो - The Indic Lyrics Database

मुस्कराते हुये युं आंख चुराया ना कारो

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - के एल सहगल | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - | वर्ष - 1944

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मुस्कराते हुये यूँ आँख चुराया न करो
ओ ओ ओ ओ
गुल खिलाते हुये यूँ
गुल खिलाते हुये यूँ तीर चलाया न करो -३हाथ धो बैठेंगे हम दिल से किसी दिन यूँ ही -२
इन छलकती हुई
इन छलकती हुई आँखों से पिलाया न करो -३फूट कर रोते हैं रात को दो फफोले दिल के -२
मोतियों को मेरी जाँ
मोतियों को मेरी जाँ ठेस लगाया न करो -३दिल बहलता है रक़ीबों का मैं जल जाता हूँ -२
अपनी महफ़िल में हँसी
अपनी महफ़िल में हँसी मेरी उढ़ाया न करो -३