घोड़ी पे हो के सावर चल है दुल्‍हा यारी - The Indic Lyrics Database

घोड़ी पे हो के सावर चल है दुल्‍हा यारी

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - गुलाम बेगम बादशाह | वर्ष - 1973

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घोड़ी पे हो के सवार चला है दूल्हा यार
कमरिया में बाँधे तलवार
अकड़ता है छैला मिली है ऐसी लैला
के जोड़ी है नहले पे दहला -२
घोड़ी पे हो के ...कल तक बेचारा हम सा कँवारा फिरता था गली-गली मारा-मारा
देखी एक छोकरी फूलों की टोकरी बोला दिल थाम के मैं हारा-हारा
यार को मुबारक हो मुहब्बत की बाज़ी -२
मियाँ बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी -२
सदा फूले-फले दोनों का प्यार
घोड़ी पे हो के ...दुल्हन की धुन है कैसा मगन है होगा मिलन देखो अभी-अभी
शादी की मस्ती लगती है सस्ती पड़ती है महँगी भी कभी-कभीको : हाँ-हाँ पड़ती है महँगी भी कभी-कभीये बात मत भूलना प्यार की बहारें -२
नन्हें-मुन्नों की लगा देंगी क़तारें
तब उतरेगा जा के ख़ुमार
घोड़ी पे हो के ...