बाहों में चले आओ, हम से सनम क्या पर्दा - The Indic Lyrics Database

बाहों में चले आओ, हम से सनम क्या पर्दा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - अनामिका | वर्ष - 1973

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बाहों में चले आओ, हमसे सनम क्या पर्दा
ये आज का नहीं मिलन, ये संग है उम्रभर का
चले ही जाना है, नजर चुरा के यूँ
फिर थामी थी साजन तुम ने मेरी कलाई क्यों?
किसीको अपना बनाके छोड़ दे
ऐसा कोई नहीं करता
कभी कभी कुछ तो कहो पिया हमसे
ए, कम से कम आज तो खुलके मिलो ज़रा हम से
है रात अपनी, जो तुम हो अपने
किसी का फिर हमे डर क्या?