बाहों के दरमियाँ, दो प्यार मिल रहे है - The Indic Lyrics Database

बाहों के दरमियाँ, दो प्यार मिल रहे है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - अलका याज्ञिक - हरिहरन | संगीत - जतिन - ललित | फ़िल्म - खामोशी - संगीतमय | वर्ष - 1996

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बाहों के दरमियाँ, दो प्यार मिल रहे है
जाने क्या बोले मन, डोले सुन के बदन, धड़कन बनी ज़ुबां
खुलते बंद होते, लबो की ये अनकही
मुझ से कह रही है के बढ़ने दे बेखुदी
मिल यूँ के दौड़ जाए, नस नस में बिजलियाँ
आसमान को भी ये हसीं राज है पसंद
उलझी उलझी साँसों की आवाज है पसंद
मोती लूटा रही है सावन की बदलियाँ