अब किसे पता कल हो क्या - The Indic Lyrics Database

अब किसे पता कल हो क्या

गीतकार - मजरूह | गायक - मन्ना डे, सहगान | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - मंज़िल | वर्ष - 1960

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अब किसे पता कल हो क्या
दिल ही दिया तो चाहे जो हो सो हो
अब किसे पता ...
मुद्दत के बाद मिले थे
ओ हो
दिलों के द्वार खिले थे
अच्छा
मस्ती सी छा चुकी थी
जैसे नींद आ चुकी थी
आँख जो खुली तो देखा
वो जा चुकी थी
अब कोई चले, कोई जले
दिल ही दिया तो चाहे जो हो सो हो
अब किसे पता ...
आखिर कल मौका पा के
झूमे ये गीत गा के
नैना जब से लड़े हैं
नशे में हम पड़े हैं
आँख जो खुली तो देखा
बाबा खड़े हैं
अब रोन पड़े, गाना पड़े
दिल ही दिया तो चाहे जो हो सो हो
अब किसे पता ...