कूकत कोयलिया कुंजन में - The Indic Lyrics Database

कूकत कोयलिया कुंजन में

गीतकार - पंडित इंद्र | गायक - जहांआरा कजान | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - भरथरी | वर्ष - 1944

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क्या उम्मीद करें हम उनसे

क्या उम्मीद करें हम उनसे

जिनको वफ़ा मालूम नहीं

ग़म देना मालूम है लेकिन

ग़म की दवा मालूम नहीं

क्या उम्मीद करें हम उनसे

जिनकी गली में उमर गँवा दी

जीवन भर हैरान रहे

पास भी आ के पास ना आये

जान के भी अन्जान रहे

कौन सी आख़िर की थी हमने

ऐसी ख़ता मालूम नहीं

क्या उम्मीद करें हम उनसे

ऐ मेरे पागल अरमानों

झूठे बन्धन तोड़ भी दो

ऐ मेरी ज़ख़मी उम्मिदों

दिल का दामन छोड़ भी दो

तुमको अभी इस नगरी में

जीने की सज़ा मालूम नहीं

हाय सज़ा मालूम नहीं

क्या उम्मीद करें हम उनसे