हाय किस लेकिन की मुहब्बत में गिराफ्तार ह्यू - The Indic Lyrics Database

हाय किस लेकिन की मुहब्बत में गिराफ्तार ह्यू

गीतकार - पं. भूषण | गायक - के एल सहगल | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - | वर्ष - 1944

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हाय! किस बुत की मुहब्बत में गिरफ़्तार हुए (२)
ज़िन्दगी कल्प हुई जीने से बेज़ार हुएहमने पाया तो यह पाया है वफ़ाओं का सिला (२)
मुफ़्त बदनाम हुए, बेबस-ओ-लाचार हुएकिस लिये दौलत-ए-दिल उसपे लुटा दी हमने (२)
आप ही अपने पे क्यों मायज़-ए-गुन्ज़ार हुएघुट के मर जायें यही दिल में है हसरत बाकी (२)
मुद्दतें गुज़री हैं बे-यार-ओ-मददगार हुए (२)
हाय! किस बुत की मुहब्बत में गिरफ़्तार हुए