ओ मुजे तेरी चाहत के दिल में आग लगाए - The Indic Lyrics Database

ओ मुजे तेरी चाहत के दिल में आग लगाए

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - अलग अलग | वर्ष - 1985

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ओ मुझे तेरी चाहत के ग़म की क़सम
ज़माने की हर एक क़सम की क़सम
मैं तेरे लिए हूँ तू मेरे लिए
सितमगर तेरे हर सितम की क़समदिल में आग लगाए सावन का महीना
नहीं जीना नहीं जीना तेरे बिन नहीं जीना
तूने मुझे जो ज़ख़्म दिए उन ज़ख़्मों को नहीं सीना
नहीं जीना ...इस दिल से अरमान ये निकले एक ही घूँट में जान ये निकले
ज़हर जुदाई वाला घूँट-घूँट नहीं पीना
नहीं जीना ...ये तेरी यादों का मौसम प्यार भरे वादों का मौसम
इस मौसम के बिछड़े शायद मिलें कभी ना
नहीं जीना ...इश्क़ इबादत इश्क़ है पूजा इश्क़ ख़ुदा का नाम है दूजा
ये दिल मथुरा काशी काबा और मदीना
नहीं जीना ...