ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा - The Indic Lyrics Database

ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - बहारों की मंज़िल | वर्ष - 1968

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ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली आँखे, कोई राज है इन में गहरा
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया
एक चीज़ कयामत भी है, लोगों से सुना करते थे
तुम्हे देख के मैने माना, वो ठीक कहा करते थे
है चाल में तेरी जालिम कुछ ऐसी बला का जादू
सौ बार संभाला दिल को, पर होके रहा बेकाबू
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया
हर सुबह किरन की लाली, है रंग तेरे गालों का
हर शाम की चादर काली, साया है तेरे बालों का
तू बलखाती एक नदियाँ, हर मौज तेरी अंगड़ाई
जो इन मौजो में डूबा, उसने ही दुनिया पाई
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया
मैं खोज में हूँ मंज़िल की और मंज़िल पास है मेरे
मुखड़े से हटा दो आँचल, हो जायें दूर अंधेरे
माना की ये जलवे तेरे, कर देंगे मुझे दीवाना
जी भर के ज़रा मैं देखूँ, अंदाज़ तेरा मस्ताना
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया