इक दिन कहीं हम दो मिलें कभी मैं कहुं - The Indic Lyrics Database

इक दिन कहीं हम दो मिलें कभी मैं कहुं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - रूप कुमार राठौड़ | संगीत - नुसरत फतेह अली खान | फ़िल्म - और प्यार हो गया | वर्ष - 1997

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इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो
बैठे रहें खोए रहें कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो ) -२कभी मैं कहूं ज़रा सुन तो लो
कभी तुम कहो अब कह भी दो
कभी मैं कहूं तुम्हें नाज़नीं
कभी तुम कहो मुझे हमनशीं
कभी मैं कहूं सुनो महज़बीं
नहीं तुम बिन मुझको चैन कहीं
फिर तुम कहो कि तुम्हें है यक़ीं
फिर मैं कहूं कि मुझे प्यार है तुमसेइक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो -२
बैठे रहें खोए रहें कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहोकभी मैं कहूं ... मुझे प्यार है तुमसेइक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो( मौसम की बात राहों की बात मंज़िल की बात हो
फूलों की बात ख़ाबों की बात फिर दिल की बात हो ) -२
महकी सी हों तन्हाइयाँ आने लगें अंगड़ाइयाँ
धड़के ये दिल कांपे नज़र तुमको कभी छू लूं अगर
मैं ये कहूं कहता रहूं मुझे तुम बिन अब जीना ही नहीं
फिर तुम कहो तुम्हें है यक़ीं
फिर मैं कहूं कि मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो( चंचल हवाएं आंचल उड़ाएं लेकिन मैं थाम लूं
समझो इशारा जब मैं तुम्हारा कोई भी नाम लूं ) -२
तुम्हें प्यार में कहता रहूं कभी चाँदनी कभी रागनी
कभी तुमको मैं कहूं गीत हो जीवन का तुम संगीत हो
मेरी प्रीत हो मनमीत हो तुम कहो तो दे दूं जान अभी
फिर तुम कहो कि तुम्हें है यक़ीं
फिर मैं कहूं कि मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो
बैठे रहें खोए रहें कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहोकभी मैं कहूं ... मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो