सुनो एक बात सुनाउन मैं बैरागी नाचुं - The Indic Lyrics Database

सुनो एक बात सुनाउन मैं बैरागी नाचुं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - बैराग | वर्ष - 1976

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र : सुनो रे सुनो एक बात सुनाऊँ
झूठ है या सच है ये तुम जानो -२
( मैं बैरागी ) -२ नाचूँ-गाऊँल : सुनो रे सुनो एक बात सुनाऊँ
झूठ है या सच है ये तुम जानो -२
( मैं बैरागन ) -२ नाचूँ-गाऊँर : ओ देखो इन बेदर्दों को छोड़ के लाज के पर्दों को -२
गली-गली में औरतें छेड़ती फिरती हैं इन मर्दों को
ल : आपने सच फ़रमाया है सच्चा शोर मचाया है -२
मर्दों के दिन बीत गए औरत का ज़माना आया है -२
र : मैं ना मानूं
ल : तुम ना मानो
र : मैं क्या जानूँ
ल : तुम क्या जानो
र : मैं तो सबका दिल बहलाऊँ
मैं बैरागी ...ल : लिखने वाला लिखता है इक ऐसा चश्मा बिकता है
जिस चश्मे के अन्दर से भई अन्धों को भी दिखता है -२
र : जग में ऐसे बंदे हैं बंदों के ऐसे धन्धे हैं
क्या करना है देख के जग को अच्छे हैं जो अन्धे हैं
ल : तू अनजाना
र : तू अनजानी
ल : तू दीवाना
र : तू दीवानी
ल : दीवाने को क्या समझाऊँ
मैं बैरागन ...ओ रात को जब दिन ढलता है प्रेम का जादू चलता है -२
तू बैरागी क्या जाने काहे को पतंगा जलता है
र : कह दो इस पनिहारी से पूछ ले दुनिया सारी से
जले पतंगा लेकिन खेलें बैरागी चिंगारी से
ल : खेल के देखो
र : छेड़ के देखो
ल : छेड़ के देखो
र : खेल के देखो
मैं जो बोलूं कर दिखलाऊँ
मैं बैरागी ...