रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन - The Indic Lyrics Database

रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - हेमंत | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - बादशाह | वर्ष - 1954

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रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे
चमन रो-रो के कहता है, कभी गुल मुस्कुराये थे
अगर दिल के ज़ुबाँ होती तो ग़म कुछ कम तो हो जाता
उधर वो चुप, इधर सीने में हम तूफ़ाँ छुपाये थे
चमन रो-रो के कहता है
ये अच्छा था न हम कहते किसी से दासताँ अपनी
समझ पाये न जब अपने, पराये तो पराये थे
रुला कर चल दिये $