बहारों ने मेरा चमन लूटकर - The Indic Lyrics Database

बहारों ने मेरा चमन लूटकर

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मुकेश | संगीत - रोशन | फ़िल्म - देवर | वर्ष - 1966

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बहारों ने मेरा चमन लूटकर
ख़िज़ाँ को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया
किसी ने चलो दुश्मनी की मगर
इसे दोस्ती नाम क्यों दे दिया
मैं समझा नहीं ऐ मेरे हमनशीं
सज़ा ये मिली है मुझे किसलिए
के साकी ने लब से मेरे छीनकर
किसी और को जाम क्यों दे दिया
मुझे क्या पता था कभी इश्क़ में
रक़ीबों को क़ासिद बनाते नहीं
खता हो गयी मुझ से क़ासिद मेरे
तेरे हाथ पैग़ाम क्यों दे दिया
खुदाया यहाँ तेरे इन्साफ़ के
बहोत मैने चर्चे सुने हैं मगर
सज़ा की जगह एक ख़ता-वार को
भला तूने इनाम क्यों दे दिया