ये आँखें देखकर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं - The Indic Lyrics Database

ये आँखें देखकर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - पं. हृदयनाथ मंगेशकर | फ़िल्म - हमराही | वर्ष - 1963

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ये आँखें देखकर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं
इन्हे पाने की धुन में हर तमन्ना भूल जाते हैं
तुम अपनी महकी-महकी जुल्फ़ के पेचों को कम कर दो
मुसाफ़िर इन में घिरकर अपना रस्ता भूल जाते हैं
ये बाँहें जब हमें अपनी पनाहों में बुलाती हैं
हमें अपनी कसम हम हर सहारा भूल जाते हैं
तुम्हारे नर्म-ओ-नाज़ूक होंठ जिस दम मुस्कुराते हैं
बहारें झेंपती हैं, फूल खिलना भूल जाते हैं
बहोत कुछ तुम से कहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
मगर जब सामने आते हैं, कहना भूल जाते हैं
मोहब्बत में ज़ुबाँ चुप हो तो आँखें बात करती हैं
वो कह देती हैं सब बातें जो कहना भूल जाते हैं