रुक-रुक-रुक कहाँ चली दीवानी - The Indic Lyrics Database

रुक-रुक-रुक कहाँ चली दीवानी

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - दो उस्ताद | वर्ष - 1959

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रुक-रुक-रुक कहाँ चली दीवानी
कोई रोके
वादा कर अब ना करेगा हमसे
तू धोखे
रुक-रुक-रुक कहाँ चली दीवानी
कोई रोके
बाहर से तू करे रइसी
अन्दर से तेरी चार सौ बीसी
हम तो नहीं हैं ऐसे-वैसे
आना जी मुँह धो के
वादा कर अब ना करेगा हमसे
तू धोखे
तेरा नखरा बाँका-बाँका
टूट गया मेरे दिल का टाँका
अपनी अदा से कहो ज़रा
इस atom bomb को रोके
रुक-रुक-रुक कहाँ चली दीवानी
कोई रोके
तू मस्तानी मैं आज़ाद
ख़ूब मिले हैं दो उस्ताद
तुम जो कहो तो दो दिन जी लूँ
तुम पे आशिक़ हो के
रुक-रुक-रुक कहाँ चली दीवानी
कोई रोके
वादा कर अब ना करेगा हमसे
तू धोखे$