किसी की याद में रो-रो के - The Indic Lyrics Database

किसी की याद में रो-रो के

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - शमशाद | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आँखे | वर्ष - 1950

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किसी की याद में रो-रो के अपने
दिन गुज़रते हैं
ये कैसी ज़िन्दगी है
हम न जीते हैं न मरते हैं
मोहब्बत करने वालों का
यही अंजाम होता है
तड़पना उनकी क़िसमत में
तो सुबह-ओ-शाम होता है
मोहब्बत करने वालों का
यही अंजाम होता है
( हमेशा के लिये दुनिया में
दो दिल मिल नहीं सकते )
दो दिल मिल नहीं सकते
नज़र मिलना जुदाई का
ही इक पैग़ाम होता है
मोहब्बत करने वालों का
यही अंजाम होता है
( न दिल में चैन है हमको
न रातों को क़रार आये )
न रातों को क़रार आये
बता दे कोई दुनिया में
कहाँ आराम होता है
मोहब्बत करने वालों का
यही अंजाम होता है
( मेरी बरबादियाँ भी देख लीं
तुमने जहाँ वालों )
तुमने जहाँ वालों
जो करता है मोहब्बत वो
यूँ ही नाकाम होता है
मोहब्बत करने वालों का
यही अंजाम होता है